बीच रास्ते
रुक गई
चार लोक जमा हुए
धक्का देने लगे
किसी से मदद मांगनी भी नही पडी
चल पडी गुनगुनाते हुए
बीच रास्ते
फिर रुक गई
गुनगुनाना बंद
चिल्ला उठी
धुआ निकालने लगी
होसला देकर उसे
ले गए डॉक्टर के पास
पुर्जे खोले गए
काफी कचरा जमा था दिमाग में
सरजरी देर तक चली
ट्रान्सप्लांटेशन भी करने पडे
पुर्जे जोडे गए
हस पडी
बिलकुल नए जेसी
गुनगुनाने लगी
फिर भागने लगी...
ये किस्सा था गाडी का
इंसान का खेर रेहने ही दो...
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गाडी के पुर्जे, चलो फिर भी ठीक हो जाते है
ये दिमाग के पुर्जे कब ठीक होंगे पता नही
Metaphor!
ReplyDeleteCan always count on u to comment :)
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